स्कूल के वो दिन 🏫

तोह केसे है आप लोग आज आप को स्कूल के वो दिन याद काराने जा रहा हू जिहे सोचकर हम आज भी सोचते है की काश वो दिन वापस आ जाए पर ऐसा नहीं होगा खेर हम उन्हें आज अपनी इस कहानी के माध्यम से जीने की कोशिश करेगे। तोह सुरूवात करते है अपने सुबह के आलार्म से जोकि हमारे जीवन का सबसे बड़ा दुश्मन था हमारे बचपन में जब हम सुबह सो कर नहीं उठते थे तब ये आलार्म हमे उठा देता था पर हम भी तोह बच्चे ही थे आलार्म सेल ही गायब कर देते थे पर मा हमारी दूसरी आलार्म थी जो एक बार बजती थी तोह सीधे स्कूल में ही छोड़कर रुकती थी। और जब कबी स्कूल जाने का मन ना हो तब भाहाने की लिस्ट हमारे पास ही रखी होती थी जिसमे रोज़ एक नया आइडिया एड हो जाता था और जो आइडिया फ्लॉप वो लिस्ट से बाहर हो जाता था मुझे पर्सनली winter के दिन बहुत पसंद होते थे हर लड़के को नही होते पर मुझे तो थे हा सुबह उठने में थोड़ी परेशानी होती है पर स्कूल जाने के बाद हमारे केंटीन में को चाय और समोसे खाने का मजा था। वो मज़ा कही नहीं है वो मज़ा केवल सर्दियों में ही आता था ।और उसके साथ क्लास में लड़कियों के साथ की वो गर्मी हाए 🤗 क्या दिन थे वह हर रोज़ कही घूमना क्लास में बंक मारना इंटरवल में स्कूल की बाउंड्री कूदकर घर जाना और अपने आप को आजाद सा फील होना भाईसाब क्या दिन थे वो जब 26 जनवरी या 15 अगस्त हो तब केवल इस मकसत से स्कूल जाना की आज क्या मिलेगा खाने को और प्रेयर के बाद छुट्टी और फिर दोस्तो के साथ मिलकर मेला या फिर चिड़ियाघर घूमने जाना और मज़े करते हुए कोई रोकने वाला नहीं बस मस्ती करना फिर घर आकर मा पिताजी की गाली सुनना उसमे भी मज़ा मतलब हर चीज में मज़ा ढूढना यह हमारे नेचर में था जाहे वो मास्टर की डाट हो या मा पिताजी की गाली काश वो दिन वापस जीने का मौका मिले तोह में कभी मना नहीं करुगा पर ऐसा नहीं होगा मुझे पता है हर कोई अपने लाइफ के इतना बिजी है की किसी के पास अब टाइम नहीं है पर में hope करता हूं की कुछ समय के लिए आप अपने पुराने दिनों की याद करेगे और मेरी स्कूल की कहानी आप को किसी लगी बताना जरूर कमेंट करके तोह बस आज के लिए इतना ही please like and share jarur kre apne और मुझे कमेंट कर बताए क्या आपके दिन भी थे स्कूल के कुछ ऐसे ही•••• 🙏🙏🙏👍 comment jarur kre

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