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Showing posts from March, 2021

कहा हे तू ?

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ये  खुदा कहा  हे तु  तेरा इंतज़ार  हर रोज़ करता हु,  सायद इसी  भाहने  तुझे  याद  करता  हु ! मैरी ख्वाइश  हे  के मिले  तू मुझसे एक दिन  यही दुआ  हर  रोज़ करता  हु ! में  तुझे पाने का सपना हर रोज़ देखता  हु ये खुदा  तेरा इंतज़ार  में हर रोज़ करता हु ! वक़्त के हाथ  में सब कुछ  यही बार सोचता ये  खुदा Tu मिल  जाये एक  दिन यह खवाइश हर रोज़ करता हु !

short poem

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मेने एक दिन पूछ लिया वक़्त से की तू इतना गैर दिल कैसे ह सकता हे की तूने मेरी झोली में कुछ पल हसीन नहीं डाले उसने पलटकर कहा की मुझे तोह तुमने ही बर्बाद किया हे ! मुझे सर्म आती हे अपने इस चरित्र पर की तू इतना काबिल भी ना था की तुझे तेरे क़ाबलियत के हिसाब से किसी ने देखा ही नही  तोह सिर्फ देखा गया तेरे सुणार्पण ,पहचान  से !

PESAA HE KYA ?

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वक्त नहीं हे मेरे पास जिंदगी को खुल कर जीने का  क्योकि पैसे नहीं हे मुझ पर उड़ाने  को ,माज़िल  को पाना बहुत  मुश्किल सा लगने लगा हे सायद ये भी  पैसे की कमी हे ,और मुझे इंतज़ार हे अपने उस पल का जिस पर जिंदगी को गुमान हों  मुझ पर ! वक़्त ने ऐसा क्या कर दिया की जिस  काम को  हमने कभी  करने की ना सोची व आज  हमे अच्छा  लगने लगा सायद ये  भी  पैसे की कमी हे !